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Question -

 स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियाँ कैसे लड़ी होंगी और स्वतंत्र होने के बाद स्वावलंबी होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए होंगे? यदि उन्हें फिर से धागे में बाँधकर नचाने के प्रयास हुए होंगे तब उन्होंने अपनी रक्षा किस तरह के उपायों से की होगी?



Answer -

स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियाँ मिलकर लड़ी होगी। पहली कठपुतली के मन में भले ही अपने बंधन तोड़ने से पहले यह विचार था कि दूसरी कठपुतलियों की ज़िम्मेदारी उस पर है क्योंकि उसका धागा टूटने पर सबके धागे टूटते गए होंगे। उसने अवश्य पहले सभी कठपुतलियों से विचार-विमर्श किया होगा। स्वतंत्र होने के बाद स्वावलंबी बनने के लिए भी उन्होंने काफी परिश्रम किया होगा। रहने, खाने, पीने, जीवनयापन की अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन-रात एक किया होगा।

यदि फिर से उन्हें किसी ने धागे में बाँधकर नचाने का प्रयास किया होगा तो हाथ न आई होंगी क्योंकि स्वतंत्र जीवन में मनुष्य कितनी भी मुश्किलों का सामना करें लेकिन परतंत्रता से वह भला ही होता है। उन्होंने अपनी रक्षा के लिए एकजुट होकर कार्य किया होगा। सब मिलकर रही होंगी। धागे बाँधने वालों की हर चाल को असफल किया होगा।

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