Question - 
            
            
            
            
            Answer - 
            लेखक मराठी पढ़ाने वाले अध्यापक न.वा सौंदगलेकर की कला व कविता सुनाने की शैली से बहुत प्रभावित हुआ। उसे महसूस हुआ कि कविता लिखने वाले भी हमारे जैसे मनुष्य ही होते हैं। कवियों के बारे में सुनकर तथा कविता सुनाने की कला-ध्वनि, गति, चाल आदि सीखने के बाद उसे लगा कि वह अपने आस-पास, अपने गाँव, अपने खेतों से जुड़े कई दृश्यों पर कविता बना सकता है। वह भैंस चराते-चराते फसलों या जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। वह हर समय कागज व पेंसिल रखने लगा। वह अपनी कविता अध्यापक को दिखाता। इस प्रकार उसके मन में कविता-रचना के प्रति रुचि उत्पन्न हुई।