Question -
Answer -
“जूझ हैं के कथानायक का मन पाठशाला जाने के लिए इसलिए तड़पता था क्योंकि उसे शिक्षा से अत्यंत गहरा लगाव था। उसे पता था कि शिक्षा मनुष्य का सर्वागीण विकास करती है। शिक्षा रने ही व्यक्ति अपनी उन्नति के बारे में सीच सकता है तथा वह समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर सकता है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि शिक्षा व्यक्ति की उन्नति का दूवार खेलती है। उसे खेती का काम इसलिए अच्छा नहीं लगता था क्योकि उसे यह विश्वास था कि जन्म–भर खेत में काम करते रहने पर भी हाथ कुछ नहीं लगेगा। जो बाबा के समय था, वह दादा के समय नहीं रहा। यह खेती हमें गडूढे में धकेल रही है। पद जाऊँगा तो नौकरी लग जाएगी, चार पैसे हाथ में रहेंगे, विठोबा आपणा को तरह कुछ धंधा–कारोबार किया जा सकेगा ।