Question -
Answer -
(क) “अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी। निस्तब्धता सिसकियों और आहों को बलपूर्वक अपने हृदय में ही दबाने की चेष्टा कर रही थी।”
गाँव में छाई मायूसी को देखकर लगता था मानो अँधेरी रात भी रो रही है। ऐसा लगता था कि खाली पड़े आकाश में करुण कराहें वह अपने मन में दबा लेना चाहती हो ताकि गाँव का दुख कम हो सके।
(ख) “रात्रि अपने भीषणताओं के साथ चलती रही।”
यद्यपि गाँव का परिवेश भयानक और उदासी से भरपूर था। अतः रात भी इस मायूसी को समेटे अपनी गति से बीतती रही।
(ग) “रात्रि की विभीषिका को सिर्फ पहलवान की ढोलक ही ललकारकर चुनौती देती रहती थी।”
रात जो बहुत ही भयानक प्रतीत होती थी। अपने स्वाभाविक शोर से वह सभी को भयभीत कर देती थी। लेकिन पहलवान की ढोलक की थाप ने इस भयानकता को चुनौती दे डाली।