Chapter 13 काले मेघा पानी दे Solutions
Question - 11 : - पानी का संकट वतमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ हैं। इसी तरह के पयावरण से संबद्ध अन्य संकटों के बारे में लिखिए ।
Answer - 11 : -
पानी के संकट की तरह अन्य कई संकट हमारे पर्यावरण में बने हुए हैं। खतरनाक गैसों का संकट, बाढ़ का संकट, सूखे का संकट, भूखमरी का संकट, खाद्यान्न का संकट आदि संकट पर्यावरण में बने हैं। इन संकटों के कारण कभी-कभी तो देश की गति तक रुक जाती-सी प्रतीत होती है। कहीं बाढ़ है तो कहीं सूखा है। कहीं लोग भूखमरी के कारण बेहाल हैं। तो कहीं खाद्यान्न पड़ा-पड़ा सड़ रहा है। हवा में फैली खतरनाक गैसें सभी को दूषित कर रही हैं। इन हवाओं में साँस लेना भी कठिन होता जा रहा है।
Question - 12 : - आपकी दादी – नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती है ? ऐसी स्थिति में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है ?
Answer - 12 : -
हमारी दादी-नानी अनेक तरह के व्रत करती हैं ताकि परिवार पर कोई कष्ट न आए। वे अंधविश्वासों से ग्रस्त हैं; जैसे बिल्ली का रास्ता काटना, छींकना, आँख फड़कना आदि। वे पुराने विचारों की हैं। मैं ऐसे विश्वासों/अंधविश्वासों को नहीं मानता, परंतु उनके प्रति विरोध भी प्रकट नहीं करता, क्योंकि उनका विरोध करने पर तनाव उत्पन्न होता है। दूसरे, वे ये सारे कार्य परिवार को कष्टों से दूर रखने की भावना से करती हैं। ऐसे में भावनात्मक लगाव के कारण उनका विरोध नहीं किया जा सकता ।
Question - 13 : - बादलों से संबंधित अपने-अपने क्षेत्र में प्रचलित गीतों का संकलन करें तथा कक्षा में चर्चा करें।
Answer - 13 : -
इस विषय पर विद्यार्थियों को स्वयं ही प्रयास करने की आवश्यकता है।
Question - 14 : - पिछले 15-20 सालों में पयावरण से छेड़-छाड़ के कारण भी प्रकृति-चक्र में बदलाव आया हैं, जिसका परिणाम मौसम का असंतुलन है।
Answer - 14 : - वर्तमान बाड़मेर (राजस्तान )में आई बढ़ ,मुंबई की बढ़ तथा महाराष्ट्र का भूकंप या फिर सुनामी भी इसी का नतीजा है। इस प्रकार की घटनाओ ,चित्रों का संकलन कीजिए और एक प्रदर्शनी का आयोजन कीजिए , जिसमे ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ में बनाए गए विज्ञानपनों को भी शामिल कर सकते है। और हँ ,ऐसी स्थितियों से बचाव के उपाय पर पयावरण विशेषज्ञों की राय को प्रदशनी में मुख्य स्थान देना न भूलें।
उत्तर
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
Question - 15 : - काले मेघा पानी दे ,संस्मरण के लेखक ने लोक – प्रचलित विश्वासों को अंधविश्वास कहकरण उनके निराकरण पर बल दिया है। – इस कथन की विवेचना कीजिए ?
Answer - 15 : -
लेखक ने इस संस्मरण में लोक-प्रचलित विश्वासों को अंधविश्वास कहा है। पाठ में इंदर सेना के कार्य को वह पाखंड मानता है। आम व्यक्ति इंदर सेना के कार्य को अपने-अपने तकों से सही मानता है, परंतु लेखक इन्हें गलत बताता है। इंदर सेना पर पानी फेंकना पानी की क्षति है जबकि गरमी के मौसम में पानी की भारी कमी होती है। ऐसे ही अंधविश्वासों के कारण देश का बौद्धिक विकास अवरुद्ध होता है। हालाँकि एक बार इन्हीं अंधविश्वास की वजह से देश को एक बार गुलामी का दंश भी झेलना पड़ा।
Question - 16 : - ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ की ‘इंदर सेना’ युवाओं को रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा दे सकती हैं-तर्क सहित उतार दीजिए।
Answer - 16 : -
इंदर सेना युवाओं को रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा दे सकती है। इंदर सेना सामूहिक प्रयास से इंद्र देवता को प्रसन्न करके वर्षा कराने के लिए कोशिश करती है। यदि युवा वर्ग के लोग समाज की बुराइयों, कमियों के खिलाफ़ सामूहिक प्रयास करें तो देश का स्वरूप अलग ही होगा। वे शोषण को समाप्त कर सकते हैं। दहेज का विरोध करना, आरक्षण का विरोध करना, नशाखोरी के खिलाफ़ आवाज उठाना-आदि कार्य सामूहिक प्रयासों से ही हो सकते हैं।
Question - 17 : - यदि आप धर्मवीर भारती के स्थान पर होते तो जीजी के तक सुनकर क्या करते और क्यों? ‘काले मेधा पानी दे’-पाठ के आधार पर बताइए।
Answer - 17 : -
यदि मैं लेखक के स्थान पर होता तो जीजी का तर्क सुनकर वही करता जो लेखक ने किया, क्योंकि तर्क करने से तो जीजी शायद ही कुछ समझ पातीं, उनका दिल दुखता और हमारे प्रति उनका सद्भाव भी घट जाता। लेखक की भाँति मैं भी जीजी के प्यार और सद्भाव को खोना नहीं चाहता । यही कारण है कि आज भी बहुत-सी बेतुकी परंपराएँ हमारे देश को जकड़े हुए हैं।
Question - 18 : - ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर जल और वर्षा के अभाव में गाँव की दशा का वर्णन र्काजिए।
Answer - 18 : -
गली-मोहल्ला, गाँव-शहर हर जगह लोग गरमी से भुन-भुन कर त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहे थे। जेठ मास भी अपना ताप फैलाकर जा चुका था और अब तो आषाढ़ के भी पंद्रह दिन बीत चुके थे। कुएँ सूखने लगे थे, नलों में पानी नहीं आता था। खेत की माटी सूख-सूखकर पत्थर हो गई थी। पपड़ी पड़कर अब खेतों में दरारें पड़ गई थीं। झुलसा देने वाली लू चलती थी। ढोर-ढंगर प्यास से मर रहे थे, पर प्यास बुझाने के लिए पानी नहीं था। निरुपाय से ग्रामीण पूजा-पाठ में लगे थे। अंत में इंद्र से वर्षा के लिए प्रार्थना करने इंदर सेना भी निकल पड़ी थी।
Question - 19 : - दिन-दिन गहराते पानी के संकट से निपटने के लिए क्या आज का युवा वर्ग ‘काले मेघा पानी दे’ र्का इंदर सेना की तर्ज पर कोई सामूहिक आंदोलन प्रारंभ कर सकता हैं? अपने विचार लिखिए।
Answer - 19 : -
आज के समय पानी के गहरे संकट से निपटने के लिए युवा वर्ग सामूहिक आंदोलन कर सकता है। युवा वर्ग शहर व गाँवों में पानी की फिजूलखर्ची को रोकने के लिए प्रचार आंदोलन कर सकता है। गाँवों में तालाब खुदवा सकता है ताकि वर्षा के जल का संरक्षण किया जा सके। युवा वृक्षारोपण अभियान चला सकता है ताकि वर्षा अधिक हो तथा पानी भी संरक्षित रह सके। वह घर-घर में पानी के सही उपयोग की जानकारी दे सकता है।
Question - 20 : - ग्रीष्म में कम पानी वाले दिनों में गाँव-गाँव में डोलती मेढ़क-मंडली पर एक बाल्टी पानी उड़ेलना जीजी के विचार से पानी का बीज बोना हैं, कैसे?
Answer - 20 : -
जीजी का मानना है कि गरमी के दिनों में मेढक-मंडली पर एक बाल्टी पानी उड़ेलना पानी का बीज बोना है। वे कहती हैं कि जब हम किसी को कुछ देंगे तभी तो अधिक लेने के हकदार बनेंगे। इंद्र देवता को पानी नहीं देंगे तो वह हमें क्यों पानी देगा। ऋषि-मुनियों ने भी त्याग व दान की महिमा गाई है। पानी के बीज बोने से काले मेघों की फसल होगी जिससे गाँव, शहर, खेत-खलिहानों को खूब पानी मिलेगा।