Question -
Answer -
सच्चे मन में ही ईश्वर का वास होता है अर्थात् सच्चे मन में ही राम बसते हैं, क्योंकि सच ही तो ईश्वर है। कच्चा मन अर्थात् विषयी मन तो भोग-विलास, विषय-वासनाओं में उलझा रहता है। जिनका मन साफ नहीं होता, वे भौतिक सुखों की चकाचौंध में ही फंसे रहते हैं। माला जपना आडंबर है, दिखावा है। इनसे ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। सच्चे। मन, सच्ची श्रद्धा -तथा सच्ची लगन से ही ‘राम’ की प्राप्ति होती है।