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Question -

दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु ल गल !



Answer -

वयित्री कहती हैं-हे मेरे मन रूपी दीपक! तू पूरी तरह से समर्पित होकर चारों ओर प्रेरणा का स्रोत बनकर असीमित प्रकाश फैला। तू अपना सर्वस्व न्योछावर कर स्वेच्छा से रोमांचित होकर खुशी से परोपकार हेतु दूसरों का पथ आलोकित कर।

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