Question -
Answer -
कविता से लिए गए चित्रात्मक शैली के प्रयोग वाले स्थल-
पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश
मेखलाकार पर्वत अपार
अपने सहस्र दृग-सुमन फाड़,
अवलोक रहा है बार-बार
जिसके चरणों में पला ताल
दर्पण-सा फैला है विशाल!
मोती की लड़ियों-से सुंदर
झरते हैं झाग भरे निर्झर !
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
उड़ गया, अचानक लो, भूधर
है टूट पड़ा भू पर अंबर!
धंस गए धरा में सभय शाल!
उठ रहा धुआँ, जल गया ताल!
-यों जलद-यान में विचर-विचर
था इंद्र खेलती इंद्रजाल।