Question -
Answer -
कवि सुमित्रानंदन पंत प्रकृति के कुशल चितेरे हैं। वे प्रकृति पर मानवीय क्रियाओं को आरोपित करने में सिद्धहस्त हैं। ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने प्रकृति, पहाड़, झरने, वहाँ उगे वृक्ष, शाल के पेड़-बादल आदि पर मानवीय क्रियाओं का आरोप किया है, इसलिए कविता में जगह-जगह मानवीकरण अलंकार दिखाई देता है। कविता में आए मानवीकरण अलंकार हैं-
पर्वत द्वारा तालाब रूपी स्वच्छ दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखकर आत्ममुग्ध होना।
पर्वत से गिरते झरनों द्वारा पर्वत का गुणगान किया जाना।
पेड़ों द्वारा ध्यान लगाकर आकाश की ओर देखना।
पहाड़ का अचानक उड़ जाना।
आकाश का धरती पर टूट पड़ना।
कविता में कवि ने मानवीकरण अलंकार के प्रयोग से चार चाँद लगा दिया है।