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Question -

‘हिंदी, बाँग्ला आजकल की प्राकृत हैं’ ऐसा कहकर लेखक ने क्या सिद्ध करना चाहा है?



Answer -

जिस प्रकार हिंदी, बाँग्ला, मराठी आदि भाषाएँ पढ़कर हम इस जमाने में सभ्य, सुशिक्षित और विद्वान हो सकते हैं तथा इन्हीं भाषाओं में नाना प्रकार के साहित्य और समाचार पत्र पढ़ते हैं उसी प्रकार उस ज़माने में शौरसेनी, मागधी, पाली भी भाषाएँ थीं, जिनमें साहित्य रचे गए और ये भाषाएँ जनसमुदाय द्वारा व्यवहार में लाई जाती थी। इस आधार पर लेखक ने। यह सिद्ध करना चाहा है कि प्राकृत बोलने को हम अपढ़ कैसे कह सकते हैं।

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