Question -
Answer -
लेखक नाटकों में स्त्रियों के प्राकृत बोलने को उनके अनपढ़ होने का प्रमाण इसलिए नहीं मानता है क्योंकि
उस समय का अधिकांश जन समुदाय प्राकृत बोलता है।
प्राकृत ही उस समय की जन प्रचलित भाषा थी।
संस्कृत का प्रयोग शिक्षित वर्ग ही करता था।
अनेक ग्रंथ प्राकृत भाषा में लिखे गए हैं, अत: प्राकृत बोलने वालों को अनपढ़ कैसे कहा जा सकता है।