Question -
Answer -
दविवेदी जी ने पुरातन पंथियों को निम्नलिखित तर्क देकर स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया है
नाटकों में कुलीन स्त्रियों को उनके प्राकृत भाषा बोलने पर अपढ़ होने का सबूत नहीं माना जा सकता है।
कुछ शिक्षित लोग ही संस्कृत बोलते थे, शेष अन्य लोग प्राकृत ही बोलते थे।
महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश प्राकृत में दिए तथा जैन-बौद्ध साहित्य प्राकृत में ही लिखा गया है।
यद्यपि शिक्षा के पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं। हो सकता है कि वे कहीं खो गए हों।
भारत में वेद-मंत्रों की रचना में स्त्रियों का योगदान रहा है, जो उनके शिक्षित होने का प्रमाण है।
रुक्मिणी द्वारा श्रीकृष्ण को पत्र लिखने से यह सिद्ध होता है कि प्राचीन काल में भी स्त्रियों के पढ़ने-लिखने का चलन था।