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Chapter 2 राम लक्ष्मण परशुराम संवाद Solutions

Question - 21 : - धनुष टूटने पर लक्ष्मण किन तर्कों के आधार पर राम को निर्दोष सिद्ध करने का प्रयास कर रहे थे?

Answer - 21 : - धनुष टूट जाने पर लक्ष्मण इसका जिम्मेदार राम को नहीं मान रहे थे। उनका मानना था कि धनुष बहुत पुराना और कमज़ोर था जो राम के छूते ही टूट गया था। राम ने तो इसे नया समझकर उठाया था। ऐसा पुराना धनुष टूटने से हमारा क्या लाभ। इन तर्को द्वारा वे परशुराम के समक्ष राम को निर्दोष सिद्ध कर रहे थे।

Question - 22 : - परशुराम ने अपनी कौन-कौन-सी विशेषताओं द्वारा लक्ष्मण को डराने का प्रयास किया?

Answer - 22 : -

परशुराम ने लक्ष्मण के मन में भय उत्पन्न करने के लिए अपनी निम्नलिखित विशेषताएँ बताईं

लक्ष्मण को सठ कहकर चेताया कि तूने अभी मेरे स्वभाव के बारे में नहीं सुना।
मैं तुझे बालक समझकर नहीं मार रहा हूँ।
तू मुझे मूर्ख मुनि समझने की भूल कर रहा है।
मैं बाल ब्रह्मचारी और क्षत्रियों का नाश करनेवाला हूँ।
मैंने अनेक बार इस पृथ्वी को जीतकर ब्राह्मणों को दे दिया।

Question - 23 : -
परशुराम को अपने फरसे पर इतना घमंड क्यों था?
अथवा
परशुराम ने अपने फरसे की क्या-क्या विशेषताएँ बताईं ?

Answer - 23 : -

परशुराम को अपने फरसे पर इतना घमंड इसलिए था क्योंकि
इसी फरसे के बल पर उन्होंने सहस्रबाहु को हराया था।
उनका फरसा अत्यंत भयानक और कठोर है।
यह फरसा गर्भ में पल रहे बच्चों का भी वध कर डालता है।
यह फरसा परशुराम का प्रिय हथियार था।

Question - 24 : - लक्ष्मण ने क्या-क्या कहकर परशुराम पर व्यंग्य किया?

Answer - 24 : - लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि अरे! मुनिश्रेष्ठ आप तो महान योद्धा हैं जो बार-बार अपने कुल्हाड़े को दिखाकर फेंक मारकर पहाड़ उड़ा देना चाहते हो। आपके सामने जो भी हैं उनमें से कोई भी कुम्हड़े की बतिया के जैसे कमज़ोर नहीं हैं। जो आपके इशारे मात्र से भयभीत हो जाएँगे।

Question - 25 : - लक्ष्मण अपने कुल की किस परंपरा का हवाला देकर युद्ध करने से बच रहे थे?

Answer - 25 : - लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि मैं आपसे भयभीत नहीं हैं। हमारे कुल की यह परंपरा है कि देवता, ब्राह्मण, ईश्वरभक्त और गाय के साथ वीरता का प्रदर्शन नहीं किया जाता है। इनकी हत्या करने पर पाप का भागीदार बनना पड़ता है और हारने पर अपयश मिलता है। यदि आप मुझे मार भी देते हैं तो भी आपके पैरों में पड़ना होगा।

Question - 26 : - लक्ष्मण के वाक्चातुर्य पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।

Answer - 26 : - धनुष टूटने से क्रोधित परशुराम जब राम और लक्ष्मण को डराने-धमकाने का प्रयास करते हैं तो लक्ष्मण अपने वाक्चातुर्य का परिचय देते हैं और उनके बड़बोलेपन को हँस-मुसकराकर व्यंग्योक्तियों से हवा में उड़ा देते हैं। वे ऐसे सूक्ति बाण चलाते हैं कि परशुराम का क्रोध भड़क उठता है। वे फिर कोमल शब्दों के सहारे उन्हें गंभीरता से बात करने के लिए विवश हो जाते हैं।

Question - 27 : - परशुराम विश्वामित्र से लक्ष्मण की शिकायत किस तरह करते हैं?

Answer - 27 : -

परशुराम लक्ष्मण की शिकायत करते हुए विश्वामित्र से कहते हैं कि

यह बालक बड़ा ही कुबुधि है।
यह कुटिल एवं काल के वशीभूत होकर अपने ही कुल का नाश करने वाला है।
यह सूर्यवंश रूपी चंद्रमा पर कलंक है।
यह पूरी तरह उदंड, निडर और मूर्ख है।

Question - 28 : - लक्ष्मण ने परशुराम और उनके सुयश पर किस तरह व्यंग्य किया?

Answer - 28 : - लक्ष्मण ने परशुराम और उनके सुयश पर व्यंग्य करते हुए कहा कि आपके सुयश का वर्णन आपके अलावा दूसरा कोई नहीं कर सकता है। आपने अपने मुँह से अपनी बड़ाई बार-बार कर चुके हैं। इतने पर भी संतोष न हुआ हो तो फिर से कुछ कह डालिए। इसके बाद भी आप वीरव्रती और क्रोध रहित हैं। अतः आप गाली देते हुए अच्छे नहीं लगते हैं।

Question - 29 : - लक्ष्मण और श्रीराम के वचनों में मुख्य अंतर क्या था?

Answer - 29 : - लक्ष्मण और श्रीराम के वचनों में मुख्य अंतर यह था कि लक्ष्मण के वचनों में उद्दंडता, व्यंग्यात्मकता तथा उग्रता का मेल था जो परशुराम के क्रोध को यज्ञ की आहुति हवन सामग्री के समान भड़का देते थे। इसके विपरीत श्रीराम के वचनों में विनम्रता और विनयशीलता का भाव था जो शीतल जल के समान प्रभावकारी थे जिससे परशुराम की क्रोधाग्नि शांत हो गई।

Question - 30 : - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ पाठ में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।

Answer - 30 : - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ नामक पाठ में निहित संदेश यह है कि हमें क्रोध करने से बचना चाहिए। यह हमारे बुधि विवेक का नाश कर देता है। क्रोधी व्यक्ति ऐसे कार्य करता है जिससे वह उपहास का पात्र बन जाता है। हमें सदैव विनम्र, शांत एवं कोमल व्यवहार करना चाहिए। ऐसे व्यवहार से हमारे बिगड़े काम भी बन जाते हैं तथा हमें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

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