Question -
Answer -
देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी प्रकृति के प्रकोप को सहन करते हैं। जाड़ों में हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में जब तापमान शून्य से 20-25 सैल्सियस नीचे चला जाता है तो भी वे सीमा पर डटे रहते हैं। देशवासी चैन की नींद सो सकें, इसलिए वे रात-रात भर जागते हैं। तपते रेगिस्तान में धूल-भरे तूफानों के बीच वे भूखे-प्यासे अपने कर्तव्यों की पूर्ति करते हैं। आवश्यकता पड़े तो वे सीने पर शत्रु की गोली भी खाते हैं।
देश के रक्षक फौजियों के प्रति हमारा दायित्व है कि हम उनके प्रति स्नेह तथा सम्मान का भाव रखते हुए उन्हें हर प्रकार की सहायता दें। उनके परिवारों को किसी प्रकार का कष्ट या अभाव न हो, उनके बच्चों की शिक्षा भली-भाँति हो सके, इस बात का ध्यान रखना हमारा ही उत्तरदायित्व है।